आईना दिल बिखर गया शायद
ज़ख़्म आँखों में भर गया शायद
आप आए हैं बड़ी देर के बाद
वस्ल का दिन गुज़र गया शायद
ज़ख़्म जो रूह पर लगा था कभी
हिज्र लम्हों में भर गया शायद
आपकी बेवफ़ाई का ख़ंजर
दिल में गहरा उतर गया शायद
इश्क़ लम्हे का ज़िक्र रहने दो
इश्क़ लम्हा गुज़र गया शायद
वो जो लम्हों में रँग भरता था
वो सुख़नवर तो मर गया शायद
वो जो बहता था इश्क़ का दरिया
आँसुओं में उतर गया शायद