Friday, November 18, 2016

एक ग़ज़ल

मुझे महसूस करना हो तो कर लो
हवा के साथ बहता जा रहा हूँ

तुम्हारे हुस्न की रानाई लेकर
गुलों में रंग भरता जा रहा हूँ

मुझे अपनी रग़ों में क़ैद कर ले
तेरी हद से निकलता जा रहा हूँ

कभी जूड़े में मुझको भी सजा लो
मैं ख़ुशबू हूँ बिखरता जा रहा हूँ

सदा ख़ामोश लम्हों की सुनोगे
सो ख़ामोशी में ढलता जा रहा हूँ