Sunday, August 30, 2015

धनक के रंग

दुआ में मांग रहा हूँ सवाल बनके तुम्हें
जवाब बनके मेरी रूह में उतर जाओ
कि जैसे दूर कहीं वादियों में शाम ढले
नर्म लम्हात की रौनक तुम्हारे चेहरे पर
रंग बनके कभी चमके कभी बिखर जाये
धनक के रंग जो फैलें तुम्हारी आँखों में
और शरमाते हुए खुद में जो सिमट जाओ
याद कर लेना मुझे उस सुनहरी मंज़र में
मैं चुपके से चला आऊंगा हवा बनकर
तुम भी एक बार कभी खुशबू बनके आ जाओ
दुआ में मांग रहा हूँ.......
2008

Wednesday, August 26, 2015

एक बेनाम सा किस्सा

ये तेरा मेरा जो दर्द का रिश्ता है जानां
मुहब्बत के किसी बाब में दर्ज नहीं
कभी लिखा न किसी ने
पढ़ा सुना न कभी
एक बेनाम सा किस्सा है
फ़क़त कुछ भी नहीं
और इस बेनाम से किस्से के दो किरदार हैं हम
एक बहते हुए दरिया के दो किनारे हैं
साथ चलते हैं मगर एक नहीं हो सकते
Feb 2011

Monday, August 17, 2015

आँखें ऐसे टूट के बरसें

एक ऐसा गीत बुनो
जिसमे मेरी तेरी आवाज़ें हों
दर्द में डूबी बिखरी सी दो आवाज़ें
जिसमे शायर ने लिखा हो सावन का मौसम
भीगा लहजा भीगी पलकें भीगे सुर ठहरे हों
आँखें ऐसे टूट के बरसें
जैसे ख़्वाब कोई मरता हो
जैसे साये की ख़्वाहिश में
कोई धूप में जलता हो
एक ऐसा गीत बुनो