Tuesday, September 27, 2016

तुम और मैं

तुम और मैं
सितारों की तरह हैं
जिनमें बज़ाहिर तो कोई फ़ासला नहीं होता
पर हक़ीक़तन
हज़ारों सालों की दूरियाँ होती हैं
तुम और मैं
हां तुम और मैं
उन्हीं सितारों की तरह हैं

27 Sep 2016

Friday, September 16, 2016

तुमने पूछा था

तुमने कल फ़ोन किया था
और पूछा था ना
कि तुम कैसे हो
तो सुनो

तुमने उस पेड़ को देखा है
जो बारिश की चाह में
दिन रात जलता है
वो आवारा बादलों को
यूँ तकता है मानो
वो बरस पड़ेंगे
मैं वैसा हूँ

तुमने उस दरिया को देखा है
जो समन्दर की चाह में
न जाने कितने हज़ार मील का सफ़र करता है
और हिज्र की लम्बी घड़ियां बिताता है
और सूख जाता है
मैं वैसा हूँ

तुमने वो रात तो महसूस की होगी
दर्द में सिमटी घुलती हुई रात
जब चाँद भी न निकले
कोई आवारा सड़कों पर
उदास नग़मा छेड़ दे
और नींद न आए
मैं वैसा हूँ

तुमने पूछा था ना
कि मैं कैसा हूँ

16 sep 2016

Sunday, September 11, 2016

हद

मैं तुम्हें भूलने की आख़िरी हदों में हूँ
तो यूँ करना
मुझे अब दर्द मत देना
मेरी साँसों में मत बहना
मुझे महसूस मत करना
मुझे एहसास की शिद्दत से ज़्यादा चाहने का जुर्म मत करना
ये आँखें ख़ून रोएँगी

मैं तुम्हें भूलने की आख़िरी हदों में हूँ
तो यूँ करना
मुझे आवाज़ मत देना
सुलगती रात में जब चाँदनी तुमको जला डाले
मुझे आवाज़ मत देना
वो दरिया गर कभी आवाज़ दे तो
तुम मुकर जाना
मुझे मुहब्बत की दास्ताँ से निकाल देना

10 sep 2016