Thursday, July 9, 2015

मेरी साँसों का गीलापन

तुम्हारी आवाज़ को छूकर लौटा तो देखा
मेरी साँसों का गीलापन अभी तक ताज़ा है
तुमने कोई बोसा देकर फिर से आंसू भेजे होंगे
मगर इस बार तुम्हारी आँखों की लौ थोड़ी मद्धम थी
बिखरते टूटते लम्हों की आहट थी उसमें
वो आहट हौले से मैंने छूकर देखी है
2009