Sunday, October 25, 2015

एक तमन्ना

आज मैं बहुत खुश हूँ
आज मेरी आँखों में
ख़्वाब का बसेरा है
आज एक तमन्ना ने
फिर से हाथ पकड़ा है
फिर से मेरी खुशियों ने
राह नयी देखी है
बे वजह नहीं ये सब
कुछ तो बात गहरी है
आज मेरी ज़िन्दगी ने
ज़िन्दगी जनम दी है
May 2013

Friday, October 23, 2015

शहर ए दिल

इसी शहर में जहाँ रंगो बू के ख़्वाब मिले
इसी शहर ने थी बख्शी हयात की दौलत
इसी ने जाम ए तमन्ना अता किया मुझको
इसी शहर ने मुझे चांदनी के ख़्वाब दिए
इसी शहर में एक चेहरा गुलाब जैसा था
कि जिसको देख के हम सुबहो शाम करते थे
वो जिसके नाम से इस दिल की शाहराहों पर
सफ़ेद मोतीये के फूल खिला करते थे
कि जिसको पा के मुहब्बत की सुर्ख राहों पर
तमाम दर्द ज़िन्दगी के भुला देते थे
अबकी जब तुम नहीं हो ख्वाब ओ ख़याल में मेरे
तो क्या मैं छोड़ के सब कुछ कहीं चला जाऊं
शहर ए दिल शहर ए तमन्ना यही है अब मेरा
अब इसे छोड़ के जाने का मन नहीं करता
2011

Thursday, October 22, 2015

सब इश्क़ का हासिल

कल शब चाँद को देखा मैंने
डूबा डूबा सहमा सहमा
बिखरा बिखरा तनहा तनहा
रोती आँखें भीगा मंज़र
उसकी जागती आँखों में
तस्वीर थी कोई धुंधली सी
मैंने ग़ौर से देखा उसको
कोई मंज़र पहचाना सा सामने आया
जैसे उसकी आँखों में कोई जलता हो
मैंने पूछा चाँद से इतने तनहा क्यों हो
वो बोला सब इश्क़ का हासिल
ये उदास शामों का खूंरेज़ मंज़र
ये तनहा शबों में भटकना हमेशा
बे वजह नहीं है
मुहब्बत यही है