मेरी रग रग में
तेरी मुहब्बत का रक़्स जारी है
साँस के लम्स से हर ज़र्रा पिघलने लगा है
तेरी ख़ुशबू ए बदन से
मेरे इश्क़ का हर एक मौसम महकने लगा है
तेरे लहजे की शराब
मेरे होठों पे दहकने लगी है
तेरी ज़ुल्फ़ों की घटा
मेरे दश्त ए वीरां पे बरसने लगी है
तेरी मख़्मूर निगाहें मेरी निगाहों में
क़तरा क़तरा बिखरने लगी हैं
तेरी मुहब्बत
मेरे जिस्म में सफ़र करने लगी है
एक ख़्वाब ने दस्तक दी थी कल