Thursday, January 21, 2016

चलो फिर से

चलो एक बार कुछ ऐसा करलें
कि हम दोनों एक लम्हा ऐसा बिताएं
जो हज़ार सालों पर भारी हो
जिसे चाह कर भी हम दोनों
खुद से अलग न कर पाएं
चलो ये अहद फिर से बांधें
चलो फिर से ......
यही बातें हुई थीं ना
जब हम आखिरी बार मिले थे
2012

Sunday, January 10, 2016

काश

साहिल की ठंडी रेत पर
साथ साथ क़दम बढ़ाते
जब तुमने रुक कर
मुझसे कहा था
काश ये वक़्त यहीं थम जाये
चंदा तारे बहता दरिया ठंडा साहिल
एक तेरे आने की ख़्वाहिश में
जाने कबसे रुके हुए हैं
2011

Tuesday, January 5, 2016

तुम्हें याद होगा

अगर सितारों की हदों तक निगाह डालो
तो इस ज़मीं से उस आसमां तक
हरेक मंज़र मेरी मुहब्बत से तर मिलेगा
ये बहता दरिया ये ठहरी झीलें
उफान भरता हुआ समंदर
ये सारे मेरी मुहब्बतों के हैं इस्तआरे
हवाओं पे लिखी सारी तहरीरों को गर पढ़ो तुम
तो जान लोगे
वो सारी बातें जो अनकही थीं
तुम्हे मिलेंगी
हवाओं पे लिखी तहरीरों को भी पढ़ना
ये फूल कलियाँ ये बाग़ सारे बहार मंज़र
तुम्हारी चाहत में खिल रहे हैं
तुम आओ देखो कोई कहाँ तक
तुम्हारी बातें हरेक सतर में यूँ लिख रहा है
कि जैसे अब तक
तुम्हे ये सब कुछ भी याद होगा
2013

Friday, January 1, 2016

प्यार का उनवां

तुम्हें गर दर्द लिखना हो
तो यूँ करना
किसी काग़ज़ के टुकड़े को
हवाओं के इशारों पर बहा देना
उसे कुछ नाम न देना
वो काग़ज़ भीग जाये जब
किसी खामोश लम्हे में
चराग़ों की हदो पर रखके पढ़ लेना
मेरे हर दर्द का किस्सा
बहुत रोशन लिखा होगा

तुम्हे गर रात लिखनी हो
मेरी आँखों के कोनो पर
कोई एक झील का क़तरा
कोई खामोश सा लम्हा
हज़ारों साल तक ठहरे
उसे महसूस कर लेना
मेरी रातों में बहते दर्द का
हर राज़ पा लोगे

मगर जानां
तुम अपनी डायरी में जब भी लिक्खो
प्यार का उनवां
तो शाम ए आखिर का वो पल भी लिखना
मुहब्बतों के दयार में जब
दो रूहें हम आगोश हो गई थीं
वो पल अभी तक साहिल ए समंदर
वहीं पड़े हैं
उन्हें उठाकर तुम अपने सफहों में दर्ज करना
न जाने कब की उदास रूहें क़रार पा लें
2013