हमने देखा है वो एक रब्त ए शनसाई भी
जब तेरी आँख ने झुककर ये कहा था मुझसे
और कुछ देर ज़रा बैठो फिर चले जाना
वगरना रात ये ख़ामोश, ढल न पाएगी
जो तीरगी मेरी आगोश में फैली है सुनो,
वो लम्हा लम्हा मुक़द्दर पे फैल जाएगी
और कुछ देर ज़रा बैठो फिर चले जाना
अभी क़रार मेरे दिल को ज़रा आना है
अभी तो रोशनी होगी चराग़ दहकेंगे
अभी तो चाँद निकलने में वक़्त है थोड़ा
अभी तो चाँदनी बिखरायेगी महताब का नूर
फिर उसके बाद मेरे ज़ख़्म पर मरहम रखना
और कुछ देर ज़रा बैठो फिर चले जाना
वो देखो कल ही शाख़ पर गुलाब आया है
तुम्हें पसन्द है ना
वो देखो सहन में अनार के दरख़्त पर
नई कलियां खिली हैं
वो देखो क्यारियों में अनगिनत तितली महकती हैं
वो कोयल गीत गाती है, वो चिड़िया चहचहाती हैं
और कुछ देर ज़रा ठहरो फिर चले जाना
वो देखो आसमां के आख़िरी किनारे पर
उन सितारों को देखो तुम
हमेशा साथ रहते हैं, मगर ये मिल नहीं पाते
हमेशा हिज्र में सिमटे तवाफ़ करते हैं
ये मिलना चाहते होंगे मगर उनकी भी दुनिया में
रवायत ओ रिवाज़ों की कड़ी ज़ंजीर के साये
उन्हें जकड़े हुए होंगे
और कुछ देर ज़रा ठहरो फिर चले जाना
"बहुत सा दर्द है दिल में जो कहना चाहती हो तुम"
मेरा सवाल अचानक था, सो रुक गई थीं तुम
तुम्हारी बेबसी आँखों में छलक आई थी
मैं जानता था तुम्हारी फ़िज़ूल बातों को
तुम्हारे चाँद के क़िस्से, गुलाब रातों को
तुम अपने हिज्र के लम्हों को गिन रही थीं ना
मैं अपनी ज़ात की सब किरचियाँ संभाले हुए
फ़िराक़ रस्तों के बेनाम सफ़र पर तन्हा
भटक रहा हूँ इक मिस्ल ए आरज़ू ए सराब