वो जब इक़रार की जुंबिश
तेरे होंठों पे आई थी
मुझे भी एक लम्हे को लगा था
कि खुशबू सी मेरे कानों में भरती जा रही है
बड़ी ख़ामोशी से तुमने मुझे बताया था
कि अब हम मिल नहीं सकते
और मैं ये सोच के हैरां था
कि मैं तुम्हारे इक़रार की बारिश में भीगूँ
या फिर इस हिज्र के वीराने में घुल जाऊं
मगर मैं खुश हूँ
कि आखिरी वक़्त ही सही
जुदा होने से कुछ पहले
तुमने इक़रार तो किया
Dec 2014
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