एक ख़्वाब की रात है ये ख़्वाब ऐसा कि जिसमे तीन शक्लें आपस में गुड़मुड़ हो गयी हैं एक का नाम साहिर एक का अमृता और एक का इमरोज़ था शायद लेकिन आखिर ए शब यूँ हुआ एक का ख्वाब टूटा एक ने ख़्वाब देखा और एक ने ख़्वाब जिया
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