Tuesday, June 30, 2015

मुहब्बत इसको कहते हैं

सुनो
जब हम नहीं होंगे
रोज़ ओ शब् कैसे गुज़रेंगे
कहाँ जाओगी मेरे बिन
ये सह पाओगी मेरे बिन
सुहानी चांदनी रातों में
जब वीरान दिल होगा
बिखर जायेगी खुशबू
जब तुम्हारे दिल के आँगन में
खुलेगा राज़ ये तुम पर
मुहब्बत इसको कहते हैं
चराग़ों के सफ़र में
हलकी सी आहट से तुम जागो
समझ लेना
मुहब्बत इसको कहते हैं
2009

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