Thursday, June 25, 2015

ख़्वाब परेशां

जब रोशन रात हवाओं में
खुशबू बन के घुल जाती है
उस वक़्त मेरे दिल गोशे में
तुम अपने ख्वाब जगाती हो
उस सन्नाटे में अक्सर
एक शोर क़यामत होता है
वो ख़्वाब परेशां बिखर चुके
उन मेरे बिखरे ख़्वाबों को
एक लम्स शनासा दे जाओ
कुछ नाम पुराने दे जाओ
क्यूँकि
ये सारे नाम तुम्हारे हैं
ये सारे ख़्वाब तुम्हारे हैं

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