मैं तुम्हें भूलने की आख़िरी हदों में हूँ
तो यूँ करना
मुझे अब दर्द मत देना
मेरी साँसों में मत बहना
मुझे महसूस मत करना
मुझे एहसास की शिद्दत से ज़्यादा चाहने का जुर्म मत करना
ये आँखें ख़ून रोएँगी
मैं तुम्हें भूलने की आख़िरी हदों में हूँ
तो यूँ करना
मुझे आवाज़ मत देना
सुलगती रात में जब चाँदनी तुमको जला डाले
मुझे आवाज़ मत देना
वो दरिया गर कभी आवाज़ दे तो
तुम मुकर जाना
मुझे मुहब्बत की दास्ताँ से निकाल देना
10 sep 2016
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