Thursday, January 21, 2016

चलो फिर से

चलो एक बार कुछ ऐसा करलें
कि हम दोनों एक लम्हा ऐसा बिताएं
जो हज़ार सालों पर भारी हो
जिसे चाह कर भी हम दोनों
खुद से अलग न कर पाएं
चलो ये अहद फिर से बांधें
चलो फिर से ......
यही बातें हुई थीं ना
जब हम आखिरी बार मिले थे
2012

4 comments:

  1. जिसे पढ़कर कोई अपने बीते लम्हों में पहुँच जाए ऐसी रचना लिखना आसान नहीं होता, अपनी बात और लोग खुद को भी उस लम्हे को जिएँ,जो उनके अहसास के बहुत पास हो ऐसा कम ही होता है!
    उम्दा 'सुखनवर'...

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  2. जिसे पढ़कर कोई अपने बीते लम्हों में पहुँच जाए ऐसी रचना लिखना आसान नहीं होता, अपनी बात और लोग खुद को भी उस लम्हे को जिएँ,जो उनके अहसास के बहुत पास हो ऐसा कम ही होता है!
    उम्दा 'सुखनवर'...

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  3. Wow bahot umdah likha hai janab

    @bafaridi

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  4. Wow bahot umdah likha hai janab

    @bafaridi

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