तुम्हे कॉफ़ी शॉप में बिताई वो शाम याद है
जब हम पहली बार मिले थे
और सदियों की प्यासी धरती पर
बादल यूँ टूट के बरसे थे
जैसे मुहब्बत टूट कर होती है
हमारा सिलसिला भी उस दिन
कुछ यूँ ही शुरू हुआ था
मैं आज भी उस बारिश की तरह
टूट कर बरसता हूँ
मगर अपनी ज़मीन से बहुत दूर
2012
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