Thursday, November 19, 2015

वक़्त ए रुख़्सत

अलविदाई शाम के हाथों में जब
ओस की बूँद झिलमिलाई थी
मेरी आँख के सारे मंज़र
तुम्हारे हाथों की लकीरों में
क़ैद हो गए थे
2012

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