आज मेरे शहर ए दिल में बारिशों का मौसम है कुछ चराग़ ए यादां है कुछ विसाल के लम्हे फिर जला लिए मैंने सोचता हूँ ऐसे में तेरी याद का सहरा कैसे पार करना है सोच के दरीचों पर कौन ख़ाक़ डालेगा बारिशों को मौसम भी मुझको मार डालेगा
June 2015
Behad aham
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